यह बात तब की है जब हेनरी फोर्ड डेट्राइट में एक दुकान पर नौकरी करते थे, जब वह दुकान से नौकरी छोड़कर निकले तो उन्होंने $3 में घड़ी खरीदी।
घड़ी लेकर वह अपने कमरे में आया, जहां कि वह ठहरा हुआ था और घड़ी को उसने खोल दिया। सामने मेज पर उसके पुर्जे फैलाने पर उसे ज्ञात हुआ कि इसमें तो, सर्वथा साधारण पुर्जे और हिस्से हैं, जो बहुत ही सस्ती धातु से बनाये गये हैं, उसे यह समझ में नहीं आया कि घड़ी की कीमत इतनी ज्यादा क्यों होती है। या तो घड़ी-निर्माता बहुत अधिक लाभ दे रहा है अथवा उसके अनजाने ही निर्माण की प्रक्रिया में भयंकर हानि हो रही है, यह था हेनरी का तर्क।
"हम सिर्फ आधे डॉलर में एक घड़ी दे सकेंगे। तब तो हरेक आदमी घड़ी रख सकेगा। हरेक को घड़ी की जरूरत है।" हेनरी फोर्ड ने कहा।
लड़का बोला- “आधे डॉलर में घड़ी बेचेंगे तो, जल्दी ही यहां से भागना पड़ेगा। $2 क्यों न लें ? लाभ का विश्वास तो है ही।"
हेनरी का मुंह क्रोध से लाल हो गया और रोषपूर्वक बोला- "ऐसी किस्म के धंधे की हमारे देश को जरूरत नहीं है। मैं किसी ऐसे व्यवसाय से संबंध न रखूंगा, जो ग्राहकों की सेवा से पूर्व अपने लाभ की बात सोचता है। जब मैं व्यापार करूंगा, तब मैं ऐसी चीज बनाऊंगा, जिसकी लोगों को जरूरत होगी। मैं अच्छा माल काम में लाऊंगा और यथाशक्य मितव्ययिता के आधार पर कोई चीज बनाऊंगा, यथाशक्य निर्माण करूंगा और यथाशक्य सस्ते दामों पर बेचूंगा। व्यवसाय चलाने के विषय में यही मेरा ख्याल है, तभी ईमानदारी से पैसा कमाया जाएगा।"
"महत्त्व तो सेवा का है। लोभ रखते हुए सफल व्यवसाय कर लेना बहुत कठिन है। ऐसा धंधा बहुत दिन तक नहीं चल सकता।"
“यदि मुझे मालूम हो जाये कि ग्राहक को अपने दाम के अनुरूप माल नहीं मिल रहा है तो, मुझे रातों नींद न आये और इसका मतलब यह भी हुआ कि मेरा व्यवहार ठीक नहीं है.... भले तुम हंसो, लेकिन एक दिन आएगा, जब मेरे पास अपना कारखाना होगा और मैं बड़ी तादाद में चीजें, बनाऊंगा। क्योंकि मेरा विश्वास है कि साधारण आय वाले व्यक्ति के लिए भी वस्तु का निर्माण होना चाहिए। माल का अधिक उत्पादन होगा, तभी कम आय वाले लोगों की आवश्यकता की पूर्ति होगी और वे अधिक वस्तुएं खरीद सकेंगे।"
"अपने आदमियों की आवश्यक देखरेख रखना और उनकी सुविधाओं का ख्याल रखना व्यापार के हित में भरी लाभकारी होगा। हेनरी का विश्वास था कि श्रमिकों और करीगरों को अच्छा पगार देना और काम करने के स्थानों और अवस्थाओं में आवश्यक सुधार करना व्यावहारिक बुद्धि की बात है।"
"संसार में दो मूर्ख हैं, एक तो ऐसा लखपति जो यह सोचता है कि धनसंग्रह द्वारा वह सच्ची शक्ति का संग्रह कर रहा है और दूसरा वह निर्धन सुधारक, जो यह सोचता है कि एक वर्ग से धन लेकर वह दूसरे को दे सकता है और यों दुनिया की सारी बुराइयां दूर हो सकती हैं। इन दोनों का मार्ग गलत है।"
"हेनरी का सिद्धांत था-ऐसा कार्य करो, जिसमें सबका हित हो, अंत में वह तुम्हारे लिए भी हितकर होगा।"
"जितना बड़ा व्यवसाय होगा, उसे चलाना उतना ही आसान होगा।"
"खुशहाली और खुशी, ईमानदारी से किए श्रम द्वारा ही आ सकती है।"
"मैं ऐसे लोगों को कभी बर्दाश्त नहीं कर सकता जो सिर्फ पैसे के लिए काम करते हैं और इस बात की रंच-मात्र भी परवाह नहीं करते कि वे अपना कार्य किस भांति कर रहे हैं।""
सेवा के बदले में धन मिलना स्वाभाविक है। धन मिलना भी बहुत जरूरी है। लेकिन हमें यह कभी नहीं भूलना चाहिए कि धन मिलने का मकसद आराम करना नहीं है। बल्कि यह है कि हम इस अवसर का इस्तेमाल करके और भी ज्यादा सेवा करें।"
हेनरी के मूल विश्वासों में से एक था- 'कार्य द्वारा ज्ञानार्जन।'
"जिस किसी में आपका विश्वास हो, उसे श्रद्धापूर्वक आरंभ कीजिए और आपको यह देखकर आश्चर्य होगा कि आपकी श्रद्धा आपको बड़ी दूर तक ले जाएगी।
"मनुष्य की महानतम खोजों में से एक और उसके समस्त महान आश्चर्यों में से एक यह है, जब उसे यह ज्ञान होता है, कि जिस कार्य को आरंभ करते हुए वह डरता था, उसे वह कर सकता है।"
Book Source: Henry Ford by Louis Allbright
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