उद्यमी अश्नीर ग्रोवर के 5 जीवन मूल्य

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अगर आपकी ज़िंदगी में मेरे सबकों से कुछ परिवर्तन आ सकता है, तो अपने सफर को आपको साथ साझा करने की इस कोशिश को मैं कामयाब मानूंगा।

मैं आपको उन पाँच चीजों के बारे में बताना चाहता हूँ जिसने मुझे सफलता की पायदान की ओर जाने में मदद की और साथ ही पाँच उन चीजों का जिक्र भी मैं करना चाहता हूँ जिसने मुझे नीचे की ओर खींचा। सोशल मीडिया की शैली मैं आपको सूचियाँ उपलब्ध करा रहा हूँ।
1. जीत का जुनून
सफलता का मेरा पहला मंत्र भले ही सुनने में घिसा-पिटा लगे, लेकिन यह है जीतने की भूख बनाए रखना। मैं एक मध्यवर्गीय परिवार में पला-बढ़ा, मेरे अंदर वह भूख हमेशा से थी कि मेरे दादा-दादी ने बंटवारे के विस्थापितों के रूप में जो खो दिया था उसे फिर से हासिल करना और इसके साथ ही जीवन में आगे बढ़ने की असीम इच्छा। हालाँकि, मेरा बचपन कोई घोर गरीबी और अभावों में नहीं बीता था, लेकिन मेरी आकाँक्षाओं और उपलब्ध साधनों के बीच हमेशा एक खाई मौजूद थी। इसी चीज ने अंदर ही अंदर मुझे अपने सपनों को हासिल करने की दिशा में काम करने के लिए प्रेरित किया। जितना अधिक आप अपने कंफर्ट जोन से बंधे होते हैं, आपकी कुछ हासिल करने की प्रेरणा भी उतनी ही कम होगी। लेकिन आजकल यह 'भूख' महानगरों में इतनी दिखती नहीं है। टियर-2 और 3 शहरों में, केंद्रीय विद्यालय और सरकारी स्कूल के बच्चों में यह इच्छा जोरदार होकर उठती है।और वह आने वाली पीढ़ियों के लिए अपनी जिंदगी को बदलकर रख देते हैं। बेशक, मुझे गलत साबित करने के लिए आपका स्वागत है; आप इसे करने से ही बेहतर होंगे!
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2. नौकरी करके कोई रईस नहीं बना
पहली बात, सबसे पहले, मैं कोई नौकरीविरोधी आदमी नहीं हूँ। आख़िर मैंने खुद नौकरी में नौ साल गुजारे हैं। मेरी माँ सरकारी स्कूल की टीचर थीं और मेरे डैड सीए की अपनी प्रैक्टिस करते थे, इसलिए ऐसा नहीं है. कि मैं किसी कारोबारी खानदान से ताल्लुक रखता हूँ जो नौ से पाँच की नौकरी को नीची निगाह से देखता है। बात इतनी भर है कि मेरा तजुर्बा कहता है कि नौकरी करते हुए आप बेशक बढ़ती महंगाई के साथ तालमेल मिला सकें और अपना जीवनस्तर बनाए रख सकें, लेकिन उस ज़िंदगी को कायदे से जी नहीं पाएंगे। आपमें से कई लोग नौकरीशुदा होंगे और मेरी यह बात आपको कोई बहुत अच्छी तो नहीं लगेगी, लेकिन सचाई यही है। कि अगर आप एक बेहतर जीवनस्तर हासिल करना चाहते हैं तो आपको नियमित आय के फंदे से बचकर निकलना होगा। एक बिज़नेसमैन के तौर पर, आपको एक मासिक तनख्वाह पर नहीं जीने का धैर्य के साथ ही ऐसी भूख भी बनाए रखनी होगी; इसकी बजाए आपको यह जानना होगा आप पर कोई धनवर्षा जैसी चीज शायद साल में एक बार ही होगी, लेकिन वह भी उस रकम से कई गुना ज्यादा होगा जो एक नौकरी वाला शायद कल्पना ही कर पाए।  
3. 'रईस', या किसी अधिक सफल व्यक्ति का जीवन जीने की सहज इच्छा और उनके जैसा बनने की इच्छा
हम अपने बच्चों को सीधी सलाह यही देते हैं कि जो लोग हमसे ज्यादा धनी- मानी हैं उनके साथ नहीं रहना चाहिए। इसके पीछे हमारा यह डर होता है कि बच्चे के अंदर कोई हीनभावना पैदा हो सकती है या वह बिगड़ जाएगा। मेरी राय इससे जुदा है। असल में, ऐसे लोगों के साथ वक्त बिताना बेहद जरूरी है जिन्होंने हमसे बेहतर ज़िंदगी जी है। यही एक तरीका है, जिससे आप उस ओर कदम बढ़ाने के लिए प्रेरित हो सके और जान सकें कि असल में ज़िंदगी है क्या चीज। अगली बार अगर कोई दौलतमंद शख़्स आपको अपने घर आमंत्रित करे तो किसी भी तरह वहाँ जाइएगा ज़रूर चीज़ों को देखिए और प्रेरित होइए। अगर आपको छोटापन महसूस हो, तो हो सकता है यही वह चीज़ है जो आपको कुछ करने के लिए प्रेरित करेगी। अंदर से एक आवाज आ जाएगी कि मुझे भी ये करके दिखाना है। अगर इसके ये सब कुछ पास है तो मेरे पास क्यों नहीं? 
4. काम सौंपिए 
इसका सबसे बड़ा नियम है: अकेले कोई कुछ नहीं उखाड़ सकता। आपको लोगों की ज़रूरत होगी। एक फाउंडर के तौर पर आपको लोगों को काम सौंपने के योग्य होना होगा ताकि आप बड़े परिदृश्य पर ध्यान केंद्रित कर सकें। कहने में तो यह आसान है लेकिन यह सबसे कठिन परिवर्तनों में से एक है—खुद करने से शिफ्ट होकर नेतृत्व करने पर आना। ऐसा इसलिए भी क्योंकि हमारी शिक्षा व्यवस्था में हमें बार-बार आत्मनिर्भरता सिखाया जाता है कि हमें खुद कड़ी मेहनत करनी चाहिए, कि हमें खुद को होगा वगैरह । लेकिन हमें कभी भी यह नहीं सिखाया गया कि हमें अपने लोगों कुशल बनाना से कैसे बेहतर काम निकलवाना चाहिए। बेशक, खुद काम करना सीखना अच्छा है, लेकिन एक अगुआ के तौर पर सारे काम खुद थोड़े ही निबटाएँगे, बल्कि उस मेहनत के लिए आपके पास टीम होती है। मैं कोडिंग नहीं करता, लेकिन मैं टेकीज के बीच हलचल मचा सकता हूँ और उन्हें बीएमडब्ल्यू बाइक्स देकर उन्हें अपने लिए काम करने के लिए साथ ला सकता हूँ।
5. बदले में उपकार की इच्छा न करें
यदि इन्वेस्टर किसी बिज़नेस को बढ़ाने की मेरी काबिलियत पर 625 मिलियन डॉलर इन्वेस्ट करने को तैयार हैं, तो इस सफलता का एक बड़ा कारण है कि मैंने अपने लिए बदले में कुछ चाहने वाला नहीं रहा। मैं किसी व्यक्ति के बारे में ऐसा कभी नहीं सोचता कि वह बदले में मेरे लिए क्या कर सकता है। मिसाल के तौर पर, जब मैं सीरीज़ ही राउंड में फंड इकट्ठा करने में जुटा था, तब मैंने उन लोगों से बात करने से भी गुरेज नहीं किया जिन्होंने सीरीज़ ए में हिस्सा लेने से इनकार कर दिया था। पूरी दुनिया एक-दूसरे से जुड़ी है, इसलिए यह सोचना कि आप किसी वक्त पर किसी से बात करके कुछ हासिल कर लेंगे, यह दूरदृष्टि दोष है। बतौर एक फाउंडर, आपको अपनी कहानी गढ़नी होगी और जितना संभव हो, उतने लोगों से साझा करना होगा- इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि वह कोई चपरासी है, किसी कंपनी का सीईओ या, कंपीटिटर, इन्वेस्टर या कोई रेगुलेटर ही क्यों न हो। इस तरह आपकी कहानी तेजी से प्रचारित होगी। यह याद रखना बेहद महत्वपूर्ण है कि सहयोग मानव प्रगति की आधारशिला है, और केवल लेन- देन के संबंध आपको इतनी दूर तक पहुँचा नहीं सकते।
Source: Doglapan By Ashneer Grover
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