आपका भविष्य आपके हाथ में - एपीजे अब्दुल कलाम

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सपनों का महत्व, एपीजे अब्दुल कलाम


"सपने वह नहीं होते जो आप नींद में देखते हैं, सपने वह होते हैं जो आपको सोने नहीं देते।" अपने सपने पूरे करने के लिए आपको जागते रहना होता है, पूरी तरह आँखें खोलकर जागते रहना होता है।

मेरा सपना है कि संसार के हर युवा को संसार के वह सारे अनुभव मिल सके जिसकी उन्हें चाह हो। मैं चाहता हूँ कि हरेक युवा की जिन्दगी में दो सबसे महत्त्वपूर्ण लक्ष्य जरूर हों- एक तो यह कि वह कुछ ऐसा करे कि उसके पास उपलब्ध समय बढ़ जाए। दूसरा यह कि उसके पास जो समय है वह उतने ही समय में ज्यादा से ज्यादा काम करके अधिक से अधिक उपलब्धियाँ हासिल करे।

लेकिन इसे कैसे सम्भव बनाया जा सकता है? इन दोनों जीवन-लक्ष्यों को कैसे प्राप्त किया जाए? हम इसे कैसे अमल में लाएँ? इसके लिए मैं आपको दो सुझाव देता हूँ।

पहले तो, सीधे-सरल ढंग से पाक-साफ जिन्दगी जीयें, जिससे कि बुढ़ापे तक सेहतमन्द रह सकें। 

यही वह समय है जब हमें सेहतमन्द रहने की मुहिम छेड़ देनी चाहिए। हर युवा को स्वास्थ्यवर्धक भोजन करना चाहिए, स्वस्थ जीवनशैली अपनानी चाहिए और स्वस्थ विचार रखने चाहिए। आपका जीवन ईश्वर का उपहार है, और दुनिया की कोई दौलत कभी उसकी बराबरी नहीं कर सकती, इसलिए उसे किसी किस्म की लत और बुरी आदतों के चलते क्यों मुरझाने दें। अच्छी सेहत बना कर रखें, बुरी आदतों से दूर रहें, अच्छी से अच्छी शिक्षा प्राप्त करें और हुनरमन्द बनें। सुयोग्य और सक्षम लोगों के लिए कितने ही अवसर उपलब्ध हैं, इसलिए पूरे जोश से आगे बढ़कर उनका लाभ उठाएँ।

दूसरे, अपने जीवन के लिए खुद जिम्मेदार बनें। शुरुआत अपने माता-पिता का ध्यान रखने से करें। एक बार आप उठकर अपनी ज़िन्दगी और अपने माता-पिता के लिए अपनी ज़िम्मेदारियों के प्रति सजग हो जाते हैं, तो सारी कायनात आपका साथ देने के लिए जुट जाती है।

आस्था और संकल्प वह दो पहिये हैं जिनके सहारे जिन्दगी में अवसरों की राह पर आसानी से आगे बढ़ सकते हैं।

बिना आस्था के हम कुछ हद तक बौद्धिक ज्ञान तो प्राप्त कर सकते हैं, लेकिन सिर्फ आस्था के बल पर ही अपने भीतर की गूढ़ गहराइयों में झाँका जा सकता है।

संकल्प वह शक्ति है जो हमें तमाम निराशाओं और विघ्नों से पार पाने में मदद करती है। वही इच्छा-शक्ति जुटाने में हमारी मदद करती है जो कामयाबी का मूल आधार है। 

तय कीजिए कि चाहे जो भी हो, आप वह ज़रूर करेंगे जो आप करने के लिए निकले हैं। अगर आपका इरादा पक्का होगा, तो ध्यान बँटाने वाले तमाम कारणों के बावजूद आप विचलित हुए बिना अपने मार्ग पर आगे बढ़ते जाएँगे। हमेशा होशियार रहें ताकि नकारात्मक ताकतें अपना कब्ज़ा न जमा लें।

अपने सपने पूरे करने की राह में जो भी मुश्किलें आएँ, चाहे आपकी उम्र कुछ भी हो और आप जिन्दगी के किसी भी पड़ाव पर हों, बेहतर भविष्य के सपनों को पूरा करने की कोशिश कभी न छोड़ें।

रुके न कदम एपीजे अब्दुल कलाम


में आपसे अनवरत चलने वाले व्यक्ति के बारे में बात करूँगा जिसे रोका न जा सके। न रुकने वाले व्यक्ति में छह खूबियाँ होती हैं।

पहली है सपने देखना, समर्पित होना और क्रियाशील होना। हम सभी के अन्दर कोई जुनून, कोई सपना, कोई लक्ष्य तो होता ही है। चाहे वह पुस्तक लिखने के लिए हो, भूखों को भोजन कराने के लिए हो, पेड़ लगाने के लिए हो, मंदिर, मसजिद या सामुदायिक भवन बनवाने के लिए हो, व्यक्ति के अन्दर कोई भी इच्छा हो, एक बार हम उसके प्रति ख़ुद को समर्पित कर देते हैं, तो अब तक विचार के रूप में रही बात मन में ही कर्म का रूप ले लेती है।

दूसरी खूबी है अपने आप पर भरोसा। हेनरी फ़ोर्ड ने सच ही कहा था- 'अगर आपको लगता है कि आप कोई काम कर सकते हैं तो भी और अगर आपको किसी काम के लिए लगता है कि आप वह नहीं कर सकते, तो भी आप सही हैं।'

अपने आप पर विश्वास, और जिस काम के लिए ख़ुद को समर्पित किया है, उसके प्रति विश्वास, इसमें कोई शक नहीं कि इन दोनों बातों से अपने लक्ष्य तक पहुँचने की सम्भावना बढ़ जाती है। 

तीसरी खूबी है आस्था। आस्था का अर्थ है कि कोई सबूत न होने पर भी मन ही मन हमारा इस बात पर विश्वास बना रहता है कि आख़िरकार सब कुछ ठीक हो जाएगा।

चौथी खूबी है हर हाल में सफल होने का साहस। आलोचनाओं को पीछे छोड़ आप जो हैं और जो होना चाहते हैं। लगातार इसी सोच के साथ जीने के लिए भी बड़ा साहस चाहिए। 

पाँचवीं खूबी है अपने काम में जुटे रहकर रास्ते में आने वाली अड़चनों से डटकर मुकाबला करना।

छठी खूबी है उद्देश्यपरक और धुन का पक्का होना। हमें यह सुनिश्चित करना है कि रोज़मर्रा के काम का भार और ज़िन्दगी के उतार-चढ़ाव हमें अपने लक्ष्य से भटका न दें ताकि हम अपने चुने हुए मार्ग से डिगे बिना आगे बढ़ते चले जाएँ।


Summury:

कभी न रुकने वाले व्यक्ति के गुण:

1) सपने देखें, तय करें, और क़दम बढ़ाएँ

2) आत्मविश्वास जगाएँ

3) हौसला रखें

4) जब तक कामयाबी न मिले साहस बनाए रखें

5) जुटे रहकर अड़चनों को दूर करें

6) मंज़िल को पाने का जुनून

अग्नि की उड़ान एपीजे अब्दुल कलाम


जीवन में सफल होने और कुछ हासिल करने के लिए आपको तीन बड़ी शक्तियों को समझना और उनमें महारत हासिल करना बहुत जरूरी है- इच्छा, विश्वास और अपेक्षा। - ए पी जे अब्दुल कलाम

बेकार कार की बातों और विनाशकारी कामों जैसी सामाजिक समस्या का समाधान है शिक्षा। शिक्षा से युवाओं को समाज में उड़ान भरने के लिए पंख मिल जाते हैं। युवाओं को चाहिए कि अपनी ज़िन्दगी के ये बेहतरीन साल अच्छी शिक्षा हासिल करने और काम के कुछ हुनर सीखने में लगाएँ। अगर एक बार मन किसी हुनर या अच्छी सोच में लगने लगता है, तो कामयाबी तय है।

वह भी समय था जब मैं जवान था, जोश और उत्साह से भरा था और मन में कुछ कर गुज़रने की धुन थी। इसके लिए जरूरी था कि मैं रामेश्वरम् की छोटी-सी दुनिया से बाहर निकलूँ।

क्योंकि मेरे पास पैसे भी बहुत कम हुआ करते थे, इसलिए मुझे कम पैसों में गुज़ारा करना सीखना पड़ा।

पैसे बचाने और परिवार पर ख़र्चे का बोझ कम करने के लिए मैं किसी भी तरह की दिक्कतें झेलने को तैयार था।

हालाँकि, मैं एक छोटी जगह का हूँ, लेकिन मैंने खुद को कभी किसी भी तरह से छोटा महसूस नहीं किया क्योंकि मेरे सपने हमेशा से बड़े थे।

मेरे पास उन दिनों कपड़ों और जूतों का एक ही जोड़ा होता था। मेरी कोशिश यही रहती थी कि मैं ज्यादा से ज्यादा दिनों तक उन्हें चलाऊँ। कपड़ों और जूतों का पहला जोड़ा फटने के बाद ही मैं नया जोड़ा लेता था।

अपने पूरे छात्र जीवन में जिस बात ने मुझे पढ़ाई जारी रखने को लगातार प्रेरित किया, वह था कुछ बड़ा हासिल करने का जज्बा, एक बेहतर ज़िन्दगी जीने की चाह और अनुशासित जीवन शैली के लिए मेरी प्रतिबद्धता। वाकई में, अनुशासन से रहना ज़िन्दगी में लक्ष्य तय करने और उस तक पहुँचने के बीच किसी पुल की तरह काम करता है।

अपने जीवन के अनुभवों के आधार पर मैं आपको बता सकता हूँ कि चार पक्के तरीके हैं जिनसे आपको सफलता पाने में मदद मिल सकती है। पहले, बीस वर्ष की उम्र तक अपने जीवन का लक्ष्य तय कर लेना। दूसरे, अहम किताबों, गुरुजनों और महान हस्तियों से इल्म हासिल करने का जुनून होना। तीसरे, कड़ी मेहनत और अनुशासित जीवन शैली का पालन करते हुए अपने लक्ष्य की ओर बढ़ना। और चौथे, अपने चुने हुए रास्ते पर पक्के इरादे के साथ बिना ठहरे चलते रहना।

हमारे लिए सबसे महत्वपूर्ण यह है कि हम निराशाओं और शंकाओं को किसी भी कीमत पर इस आशा पर हावी न होने दें।

तीन ऐसी भूमिकाएँ हैं जो भारतीय युवाओं को निभानी हैं, और जो मुझे लगता है वह नहीं निभा रहे हैं। 

पहली तो यह कि वे राजनीति के क्षेत्र में कोई ख़ास दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं, वे राजनीति को लेकर उदासीन से हैं। राजनीति में युवाओं की भागीदारी बहुत महत्त्वपूर्ण है क्योंकि युवा ही देश के भविष्य और उसकी ताकत का प्रतिनिधित्व करते हैं। युवाओं के पास जो सबसे बड़ी ताकत है, वह है समस्याओं को पहचानने और उनके समाधान सुझाने की उनकी क्षमता।

दूसरे, मैं समझता हूँ कि भारतीय युवा देश की बेरोज़गारी की समस्या का समाधान करने में भी एक महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकते हैं। उन्हें उद्यमी बनने के लिए प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए ताकि वे अपने उद्यम स्थापित करके अन्य युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराएँ, न कि खुद नौकरी की तलाश में भटकें।

युवाओं की तीसरी समस्या है चीजों, स्थितियों व राजनीति के प्रति उनका उदासीन रवैया। लोगों में बदलाव लाने की भावना का न होना हमारे देश के विकास के मार्ग में सबसे बड़ी बाधा है।

भारत केवल तभी एक विकसित देश बन सकता है, जब देश का प्रत्येक नागरिक, विशेष रूप से युवा वर्ग अपनी क्षमता व योग्यता का भरपूर योगदान दे।

साहस की पहचान एपीजे अब्दुल कलाम


जो उचित है वह करने से कतराना साहस की कमी दर्शाता हैं। - कनफ्यूशियस

साहस की पहली और सबसे महत्त्वपूर्ण पहचान यह है कि डर का अनुभव होने के बावजूद व्यक्ति वह करता है जो उचित है।

साहस का अर्थ डर का न होना नहीं, बल्कि डर पर जीत हासिल करना है। बहादुर वह नहीं होता जो डर से डर जाए, बल्कि वह होता है जो उस डर पर जीत दर्ज करता है। कोई भी ऐसा प्राणी नहीं है जो ख़तरे से सामना होने पर डरता न हो। सच्चा साहस इसमें है कि डर लगने पर भी ख़तरे का सामना किया जाए। आतंकित होते हुए भी आगे बढ़कर जो करना चाहिए वह कर डालना ही साहस है। जिसे डर ही नहीं लगता वह मूर्ख है, और जो डर को खुद पर हावी हो जाने देता है वह निस्संदेह कायर है। साहस का अर्थ है वह करना जो करने से आपको डर लगता है। अगर आप डरे नहीं हैं, तो फिर साहस का सवाल ही नहीं पैदा होता। प्रतिक्रिया करने के बजाय हमारे पास कुछ कर डालने का साहस होना चाहिए।

जिसे हम पूरी शिद्दत से चाहते हों, जिसे हमने लगातार चाहा हो, उसके न मिलने पर भी जिन्दगी में आगे बढ़ते जाना ही साहस है।

साहस की दूसरी पहचान है अपने दिल की सुनना। हमारी सृजनशीलता के पीछे होता है हमारा जुनून, जो कि हमें सामान्य से आगे बढ़कर कुछ करने को प्रेरित करता है। जब आप अपने दिल और अन्तर्दृष्टि के मुताबिक चलते हैं, तो आप महसूस करते हैं कि आपको पहले से ही पता है कि आप वाकई में क्या बनना चाहते है। बाकी सब बातें इसके बाद आती हैं। जोखिम, उठाकर काम करने का फैसला करके कभी-कभी आपको कुछ देर के लिए ऐसा महसूस हो सकता है कि आपके पाँव तले से जमीन निकल गई हो, लेकिन जोखिम न उठाने पर आपके सामने खुद अपना ही वजूद खोने का ख़तरा हो सकता है।

साहस की तीसरी पहचान है मुश्किलों का सामना होने पर भी डटे रहना, जुटे रहना। जब हम डर रहे होते हैं या जब खतरे से हमारा सामना होता है, हमें अपने आप को यह नहीं समझाना चाहिए कि कहीं कोई खतरा नहीं है, बल्कि अपना समय और ऊर्जा ख़तरे के बावजूद आगे बढ़ते रहने के लिए खुद को तैयार करने पर खर्च करनी चाहिए।

मैंने जाना कि मुसीबतों के आगे झुके बिना अगर हम बेखौफ होकर उनके बीच से रास्ता बनाने का फ़ैसला कर लें, तो तमाम रुकावटें खुद ब खुद गायब हो जाती हैं।

जो सही है उसका साथ देना साहस की चौथी पहचान है। सबसे बड़े नायक वे होते हैं जो अपनी जान की परवाह न करते हुए उसी बात का साथ देते हैं जो उन्हें ठीक लगती है। ऐसा निस्वार्थ साहस अपने आप में किसी जीत से कम नहीं है।
साहस की पाँचवीं पहचान है, दुनिया को युवाओं वाले गुण चाहिए - यौवन यानी जीवन का काल खंड विशेष नहीं, बल्कि वैसी मनःस्थिति, कड़क इच्छा- शक्ति, कल्पनाशीलता की खूबी, डर के मुक़ाबले साहस की प्रधानता, आराम की ज़िन्दगी से बढ़कर जोखिम उठाने की भूख। जितना साहस होता है, उसी के अनुपात में ज़िन्दगी सिकुड़ती या फैलती है।

आख़िर में, गरिमा और आस्था के साथ कष्ट झेलना ही साहस है। साहसी व्यक्ति के अन्दर ही आस्था होती है। साहसी व्यक्ति ही गरिमा और सभ्यता के साथ जीवन की दुर्घटनाओं को बर्दाश्त करते हुए हालात का पूरा फायदा उठाता है। साहस दूसरी तमाम अच्छाइयों से ज्यादा महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि बिना साहस के आप दूसरी अच्छाइयों पर लगातार अमल नहीं कर सकते। आप किसी भी अच्छाई पर यदा-कदा अमल कर सकते हैं, लेकिन साहस के बिना लगातार कुछ भी नहीं कर सकते। एक बार मैंने अपने दोस्त नेल्सन मंडेला से पूछा, "वह कौन सी चीज़ थी जिसने उन सत्ताइस सालों के दौरान आपके अन्दर जीने की ललक बनाए रखी जो आपने कैदखाने में बिताए ?" वह बोले-"कलाम, मैंने जाना है कि साहस डर की गैरमौजूदगी नहीं है, बल्कि उसपर दर्ज की गई जीत है। निडर वह नहीं है जो डर महसूस नहीं करता, बल्कि वह है जो अपने डर पर विजय प्राप्त कर लेता है।"

एक राष्ट्र के तौर पर, हमारे लिए यह बहुत ज़रूरी है कि हम सही किस्म के नेताओं को चुनें और जो कुछ बुरा हो रहा है और अपने चारों ओर हम जो अन्याय होते देखते हैं, उसके ख़िलाफ़ आवाज़ उठाएँ।

भावी नेतृत्व का निर्माण एपीजे अब्दुल कलाम


जब तक कि कोई संस्था आन्तरिक प्रतिभाओं के विकास का इरादा नहीं कर लेती, तब तक वह नेतृत्व करने वालों की लगातार कमी का सामना करती रहेगी। - एपीजे अब्दुल कलाम

जब मैं पीछे मुड़कर नेतृत्व करने वाले इन लोगों को देखता हूँ, तो मुझे नेतृत्व की क्षमता विकसित करने के लिए जरूरी सात महत्त्वपूर्ण प्रक्रियाएँ याद आती हैं, जिन्हें मैं आपके साथ साझा कर रहा हूँ।

पहली प्रक्रिया है अगुआई करने वाले वरिष्ठ लोगों की प्रतिबद्धता-किसी भी नीतिगत वरीयता की तरह, प्रभावी नेतृत्व के विकास की शुरुआत संस्थान का नेतृत्व कर रहे उन वरिष्ठ जनों की सक्रियता और प्रतिबद्धता से होती है जो प्राथमिकताएँ तय करते हैं और धन की व्यवस्था करते हैं।

दूसरी प्रक्रिया है संस्थान की भविष्य की आवश्यकताओं की समझ हासिल करना। नेतृत्व विकास का सिलसिला बनाने के क्रम में बेहद ज़रूरी कदम है यह तय करना कि संस्थान को अपने नीतिगत लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए भविष्य में कैसी भूमिकाओं, कौशल और संख्या में लोगों की आवश्यकता होगी।

तीसरी प्रक्रिया है संस्थान में आवश्यक भूमिकाओं को पूरा करने के लिए मौजूदा कर्मचारियों की क्षमताओं का आकलन। भविष्य की जरूरतों को सामने रखते हुए यह सोचना होगा कि इसके लिए किस कार्य कौशल की जरूरत पड़ेगी।

चौथी प्रक्रिया है पहचान करने के बाद 'उच्च सम्भावनाओं' वाले कर्मचारियों का वास्तविक विकास और गहन मार्गदर्शन। कर्मचारियों और उनके प्रबन्धकों को वचनबद्धता के साथ, चुने हुए कर्मियों को उनकी अधिकतम कार्यक्षमता के स्तर तक पहुँचने में मदद करने के लिए उनकी कई तरह से मदद करनी पड़ सकती है, जिसमें औपचारिक प्रशिक्षण शामिल है।

पाँचवी प्रक्रिया है जरूरत पड़ने पर बाहरी परितन्त्र से मार्ग दर्शकों की सेवाएँ लेना।

छठी प्रक्रिया है कार्यप्रणाली का आकलन करके कामकाज के तौर-तरीकों में सुधार लाना।

सातवीं प्रक्रिया जिसे कि अमल में लाना बहुत मुश्किल था, वह थी ऐसी संस्कृति विकसित करने की प्रक्रिया जो नेतृत्व विकास में मददगार हो। यथास्थिति में बदलाव लाना किसी भी मार्गदर्शक के लिए सबसे मुश्किल काम होता है।


Summary:

नेतृत्व विकास के लिए ज़रूरी प्रक्रियाएँ:

1) अगुवाई करते वरिष्ठ लोगों की प्रतिबद्धता

2) संस्थान की भविष्य की जरूरतों को समझना

3) अधिक क्षमतावान कर्मियों की पहचान

4) उच्च क्षमता वाले कर्मियों का मार्गदर्शन

5) जरूरत पर बाहर से अगुवाई करने वालों को लेना

6) कामकाज के तौर-तरीकों में सुधार

7) नेतृत्व विकास के लिए उचित माहौल बनाना

भला है देना एपीजे अब्दुल कलाम


हालाँकि देना एक कठिन चुनौती है, लेकिन तरक्की का यही एक तरीका है। दो, ताकि तुम बढ़ सको। - ए पी जे अब्दुल कलाम

मेरे दोस्त विलियम सेल्वामूर्ति ने इस क्षेत्र में हो रहे ताज़ा शोधकार्य के बारे में मुझे संक्षेप में बताया। ऐसे भरोसेमन्द शोध जिनसे पुष्टि होती है कि देने से न सिर्फ लेने वाले को फ़ायदा पहुँचता है, बल्कि इससे देने वाले की सेहत पर अच्छा असर पड़ता है और इससे उसे खुशी मिलती है, जिससे समूचे समुदाय को ताक़त मिलती है। सेल्वामूर्ति कहते हैं कि दान के धन पर चलने वाली संस्थाओं को दान देने से, सर्दियों में बेघर गरीबों को कम्बल दान करने से, या गर्मी के दिनों में आने-जाने वाले राहगीरों और जानवरों को पानी पिलाने या अपनी मर्जी से भलाई के ऐसे ही किसी काम में अपना समय लगाने से भी वैसा ही फ़ायदा होता है। मैं आपको देने के पाँच ठोस कारण बताता हूँ, और साथ में उनसे होने वाले लाभ भी।

सबसे पहला और सबसे बड़ा कारण तो, यह है कि दे कर हम अच्छा महसूस करते हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि परोपकार भरे व्यवहार से मस्तिष्क में 'एंडॉर्फिन' (endorphin) नाम के रसायनों का स्राव होता है जिससे अच्छा एहसास होता है।

दूसरे, देना हमारी सेहत के लिए अच्छा है। दूसरों को कुछ देने से लम्बी बीमारियों से जूझ रहे लोगों की सेहत पर भी अच्छा असर पड़ता है।

तीसरे, देने से आपसी सहयोग और सामाजिक सम्बन्धों की भावना बढ़ती है। जब आप देते हैं, तो आपको भी मिलने की सम्भावना पहले से ज्यादा बढ़ जाती है। जब आप किसी को देते हैं, तो आपकी उदारता के बदले में देने का यह सिलसिला कोई दूसरा आगे बढ़ाता है, कभी वह जिसे आपने दिया है, और कभी कोई और। इस लेन-देन से एक दूसरे पर भरोसे और सहयोग की भावना को बढ़ावा मिलता है जिससे दूसरों के साथ हमारे रिश्तों में मजबूती आती है। शोध से भी यही पता चला है कि सकारात्मक सामाजिक आदान-प्रदान अच्छे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य का मुख्य कारक है। इतना ही नहीं, जब हम किसी को कुछ देते हैं, तो सिर्फ़ वही हमें अपने नज़दीक नहीं पाते हैं, बल्कि हम भी ख़ुद को उनके ज्यादा क़रीब महसूस करते हैं। दयालु और उदार होने से आप दूसरों को भी ज्यादा सकारात्मक और भलाई के नजरिये से देखते हैं और इससे आपके सामाजिक दायरे में एक दूसरे पर निर्भरता और आपसी सहयोग की भावना को बल मिलता है।

चौथे, देने से कृतज्ञता पैदा होती है। आप किसी को कोई उपहार दे रहे हैं, या उपहार आपको मिल रहा है, वह उपहार ख़ुद ही आभार की भावना से भर देता है। उपहार देना कृतज्ञता व्यक्त करने या उपहार पाने वाले में कृतज्ञता के भाव जगाने का तरीका हो सकता है। मैंने ख़ुद महसूस किया है कि कृतज्ञता खुशी, सेहत और सामाजिक बन्धन बाँधने के लिए बेहद जरूरी है। 

जब एक व्यक्ति उदारता का बर्ताव करता है, तो दूसरों को अन्य लोगों के साथ उदारता का बर्ताव करने की प्रेरणा मिलती है। दरअसल, देने की नीयत तीन तरह से फैलती है, एक व्यक्ति से दूसरे में, और दूसरे से तीसरे में।

देने की भावना हवा में सुगन्ध की तरह फैलती है। जब हम किसी को कुछ देते हैं, हम सिर्फ उसका ही भला नहीं कर रहे होते हैं जिसे हम कुछ देते हैं, बल्कि पानी में कंकड़ गिरने से पैदा होने वाली तरंगों की तरह इसका असर भी सारे समाज में फैलता है।

इसमें कोई शक नहीं कि सच बोलने से, गुस्सा न करने से, और माँगने पर देने से, चाहे वह कितना भी कम क्यों न हो, आप अपनी जिन्दगी को पूरी तरह बदल सकते हैं और अपने आसपास वालों को भी फ़ायदा पहुँचा सकते हैं।

उम्मीद है आपको इस किताब का सारांश अच्छा लगा होगा यदि आपको यह वाकई पसंद आया तो इसे लाइक करिए और अपने दोस्तों में शेयर करिए। 
❤️धन्यवाद❤️

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